जुर्म-ए-उलफ़त [Jurm-e-Ulfat] [English translation]
जुर्म-ए-उलफ़त [Jurm-e-Ulfat] [English translation]
जुर्म-ए-उलफ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं
कैसे नादान हैं, शोलों को हवा देते हैं
हमसे दीवाने कहीं तर्क-ए-वफ़ा करते हैं
जान जाए कि रहे, बात निभा देते हैं
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तोलें
हम मुहब्बत से मुहब्बत का सिला देते हैं
तख़्त क्या चीज़ है और लाल-ओ-जवाहर क्या है?
इश्क़ वाले तो ख़ुदाई भी लूटा देते हैं
हमने दिल दे भी दिया, और अहद-ए-वफ़ा ले भी लिया
आप अब शौक़ से दे लें जो सज़ा देते हैं
जुर्म-ए-उलफ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं
- Artist:Lata Mangeshkar
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