Lata Mangeshkar - ये रात भीगी भीगी [Yeh Raat Bheegi Bheegi]
Lata Mangeshkar - ये रात भीगी भीगी [Yeh Raat Bheegi Bheegi]
ये रात भीगी-भीगी
ये मस्त फिजायें
उठा धीरे-धीरे
वो चाँद प्यारा प्यारा
ये रात भीगी-भीगी
ये मस्त फिजायें
उठा धीरे-धीरे
वो चाँद प्यारा प्यारा
क्यों आग सी लगा के
गुमसुम हैं चांदनी
सोने भी नहीं देता
मौसम का ये इशारा
इठलाती हवा
नीलम सा गगन
कलियों पे ये बेहोशी की नमी
ऐसे में भी क्यों बेचैन हैं दिल
जीवन में ना जाने
क्या हैं कमी
क्यों आग सी लगा के
गुमसुम हैं चांदनी
सोने भी नहीं देता
मौसम का ये इशारा
ये रात भीगी-भीगी
ये मस्त फिजायें
उठा धीरे-धीरे
वो चाँद प्यारा प्यारा
जो दिन के उजाले में ना मिला
दिल ढूंढें ऐसे सपने को
इस रात की जगमग में डूबी
मैं ढूंढ रही हूँ अपने को
ये रात भीगी-भीगी
ये मस्त फिजायें
उठा धीरे-धीरे
वो चाँद प्यारा प्यारा
क्यों आग सी लगा के
गुमसुम हैं चांदनी
सोने भी नहीं देता
मौसम का ये इशारा
ऐसे में कहीं क्या कोई नहीं
भूले से जो हम को याद करे
एक हल्की सी मुस्कान से जो
सपनों का जहां आबाद करे
ये रात भीगी-भीगी
ये मस्त फिजायें
उठा धीरे-धीरे
वो चाँद प्यारा प्यारा
क्यों आग सी लगा के
गुमसुम हैं चांदनी
सोने भी नहीं देता
मौसम का ये इशारा
ये रात भीगी-भीगी
ये मस्त फिजायें
उठा धीरे-धीरे
वो चाँद प्यारा प्यारा
- Artist:Lata Mangeshkar